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TRAI का बड़ा फैसला, टेलीकॉम कंपनियों की बढ़ी टेंशन TRAI New Rules 2025

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TRAI New Rules 2025: भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में एक नया विवाद उभर कर सामने आया है। TRAI द्वारा हाल ही में जारी किए गए नए स्पैम नियंत्रण नियमों ने टेलीकॉम कंपनियों में असंतोष की लहर पैदा कर दी है। यह नियम जहां एक ओर उपभोक्ताओं के हित में बताए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर टेलीकॉम ऑपरेटर्स इन्हें अपने लिए बोझ मान रहे हैं।

नए नियमों का विवरण और प्रभाव

TRAI ने अनचाहे कमर्शियल कम्युनिकेशन (UCC) को नियंत्रित करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नियमों के तहत, टेलीकॉम कंपनियों को स्पैम कॉल्स और मैसेज को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। साथ ही, नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना भी देना होगा। पहली बार नियम तोड़ने पर 2 लाख रुपये, दूसरी बार 5 लाख रुपये और तीसरी बार 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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टेलीकॉम कंपनियों की चिंताएं

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के महानिदेशक एसपी कोचर ने इन नियमों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि टेलीकॉम कमर्शियल कम्युनिकेशन कस्टमर प्रेफरेंस रेगुलेशन्स (TCCCPR) में किए गए बदलाव उद्योग की मुख्य चिंताओं को संबोधित नहीं करते। रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी बड़ी कंपनियां इन नियमों से प्रभावित होंगी।

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टेलीमार्केटर्स की भूमिका और नियंत्रण

टेलीकॉम कंपनियों का मानना है कि स्पैम को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका टेलीमार्केटर्स को लाइसेंसिंग व्यवस्था के अंतर्गत लाना है। COAI ने TRAI से बार-बार आग्रह किया है कि डिलीवरी टेलीमार्केटर्स को नियमों के दायरे में लाया जाए। इससे अवांछित संचार भेजने वाली संस्थाओं पर सरकार और नियामक का नियंत्रण स्थापित हो सकेगा।

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OTT प्लेटफॉर्म्स की चुनौतियां

एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा OTT कम्युनिकेशन सर्विस प्रोवाइडर्स को लेकर है। टेलीकॉम कंपनियां मानती हैं कि OTT प्लेटफॉर्म्स से होने वाली स्पैम कॉल्स और मैसेज वित्तीय धोखाधड़ी को बढ़ावा दे रहे हैं। लेकिन TRAI ने इन्हें नियमों के दायरे में लाने से इनकार कर दिया है, जो कंपनियों के लिए चिंता का विषय है।

आगे की राह

टेलीकॉम सेक्टर में यह नया विवाद उपभोक्ताओं और सेवा प्रदाताओं के बीच एक संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है। जहां एक ओर ग्राहकों को अनचाहे संचार से बचाना जरूरी है, वहीं दूसरी ओर टेलीकॉम कंपनियों की व्यावहारिक चुनौतियों को भी समझना आवश्यक है। इस मुद्दे का समाधान सभी हितधारकों के बीच संवाद और सहयोग से ही निकल सकता है।

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भविष्य में, TRAI और टेलीकॉम कंपनियों को मिलकर एक ऐसा रास्ता निकालना होगा जो न केवल उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करे, बल्कि टेलीकॉम सेक्टर के स्वस्थ विकास को भी सुनिश्चित करे। साथ ही, टेलीमार्केटिंग और OTT सेवाओं के नियमन पर भी गंभीर विचार-विमर्श की आवश्यकता है।

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