TRAI Guidelines 2025: टेलीकॉम सेक्टर में एक नया युग शुरू होने जा रहा है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने मोबाइल नंबरिंग सिस्टम में कई महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है। ये बदलाव न केवल टेलीकॉम सेवाओं को और बेहतर बनाएंगे, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद साबित होंगे।
नई गाइडलाइन का मुख्य उद्देश्य
TRAI की नई गाइडलाइन का प्रमुख लक्ष्य है टेलीकॉम सेवाओं को और अधिक पारदर्शी बनाना। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करना और मोबाइल नंबरों के उपयोग को और अधिक कुशल बनाना भी इसका उद्देश्य है।
मोबाइल नंबर बंद होने की नई व्यवस्था
TRAI ने मोबाइल नंबरों के निष्क्रिय होने को लेकर नए नियम बनाए हैं। अब किसी भी मोबाइल नंबर को 90 दिनों से पहले बंद नहीं किया जा सकता। साथ ही, अगर कोई नंबर 365 दिनों तक बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया जाता है, तो वह अपने आप निष्क्रिय हो जाएगा। टेलीकॉम कंपनियां इस बारे में उपभोक्ताओं को पहले ही सूचित कर देंगी।
कॉलर आईडी में होगा बड़ा बदलाव
TRAI ने कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) सिस्टम को लागू करने की सिफारिश की है। इस नई व्यवस्था के तहत, कॉल रिसीव करने वाले की स्क्रीन पर कॉल करने वाले का असली नाम दिखाई देगा। यह कदम स्पैम कॉल्स और फ्रॉड को रोकने में मददगार साबित होगा।
एसटीडी कॉलिंग में नया नियम
नई व्यवस्था के अनुसार, लैंडलाइन से एसटीडी कॉल करते समय ‘0’ डायल करना जरूरी होगा। हालांकि, मोबाइल से मोबाइल या लैंडलाइन पर की जाने वाली कॉल्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
स्मार्ट डिवाइस के लिए विशेष नंबरिंग
बढ़ते डिजिटल युग की मांग को देखते हुए, मशीन टू मशीन (M2M) कनेक्शन के लिए 13 अंकों के विशेष नंबर जारी किए जाएंगे। यह कदम IoT डिवाइस और स्मार्ट गैजेट्स के बेहतर प्रबंधन में सहायक होगा।
उपभोक्ताओं के लिए लाभदायक बदलाव
टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि वे नंबरिंग में किए गए बदलावों के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क न लें। साथ ही, लंबे समय से बंद पड़े नंबरों को नए ग्राहकों को आवंटित किया जाएगा। इससे नंबरों की उपलब्धता बढ़ेगी और संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा।
निष्कर्ष
TRAI की नई गाइडलाइन टेलीकॉम सेक्टर में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलेंगी, बल्कि टेलीकॉम संसाधनों का भी कुशल उपयोग सुनिश्चित होगा। CNAP सिस्टम की शुरुआत से स्पैम कॉल्स में कमी आएगी और डिजिटल सुरक्षा मजबूत होगी। स्मार्ट डिवाइस के लिए विशेष नंबरिंग व्यवस्था भविष्य की तकनीकी जरूरतों को पूरा करने में सहायक होगी। इन सभी बदलावों से भारत का टेलीकॉम सेक्टर और अधिक आधुनिक और उपभोक्ता-केंद्रित बनेगा।